सरकार ने लूज हीरे और प्रेसियस स्टोन्स पर लगे ३% जीएसटी को कम करके अब ०.२५% कर दिया है जिससे कि अत्यधिक घाटे के कगार से मैन्यूफैक्चरिंग एवं ट्रेडिंग सेक्टर में काम करने वाले लाखों लोगों के रोजगार को बचाया जा सके। इससे कार्यशील पूंजी की आवश्यकता कम हो जाएगी और इस सेक्टर में नकदी प्रवाह और बेहतर हो जाएगा। लेकिन इस मसले से वास्तव में मार्जिन पर कोई खास असर नहीं होगा। अगर इस सेक्टर पर लगे मौजूदा आयात शुल्क १०% से घटाकर ०% किया जाता है तो इस क्षेत्र को सबसे अधिक प्रसन्नता होगी। अर्थव्यवस्था की मंदी से मुकाबला करने के लिए मंदी की अवधि के दौरान आयात की दरों को बढ़ाया गया था, लेकिन बाद की अवधि में जब इसमें सुधार आया तो उक्त दर को वैसे ही छोड़ दिया गया। उसमें कोई कटौती नहीं की गई।

सिग्नेचर शो के इस विशेष अंक में द न्यू ज्वैलर हिंदी ब्यूरो ने डायमंड एंड गोल्ड ज्वैलरी के चुनिंदा निर्माताओं, खुदरा विक्रेताओं और एसोसिएशन के अध्यक्षों से इस सेक्टर की मौजूदा परिदृश्यों भारत में आगामी दिनों में प्रेसियस स्टोन्स और ज्वैलरी बिजनेस पर उनके निष्पक्ष दृष्टिकोण पर बातचीत की है। इंडिया इंटरनेशनल ज्वैलरी शो के सिग्नेचर संस्करण का इसी महीने आयोजन होना है। देश के इस पहले मेगा शो से निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं को काफी उम्मीदें हैं क्योंकि यह शो आने वाले समय में ज्वैलरी के बिजनेस के लिए प्रोत्साहक होगा।

कोयंबटूर भारत में सबसे महत्वपूर्ण आभूषण निर्माण क्षेत्रों में से एक है। हस्तनिर्मित ज्वैलरी के लिए लोकप्रिय यह शहर दुनिया में स्वर्ण और डायमंड ज्वैलरी का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गया हैं। टेक्नोलोजी और मशीनरी टूल्स के आगमन से इस सेक्टर की विनिर्माण कंपनियों को व्यापार बढ़ाने और अपने आप को नई पीढ़ी की टेक्नोलोजी के चलने के लिए परिवर्तित किया है। इस मैजिक शहर की कई कंपनियों ने देश के बाहर अपने संबंधित व्यवसायों का विस्तार किया है और देश की विदेशी मुद्रा की आय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

ए सुब्रमण्यम
संपादक