आईआईजेएस सिग्नेचर २०१८ के आयोजन के बाद इस तिमाही के दौरान घरेलू स्तर पर चेन्नई, राजकोट, हैदराबाद और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकॉक शो, हांगकांग शो, शारजाह शो जैसे विभिन्न आयोजन इस दौरान किए गए। कुल मिला कर देखें तो नोटबंदी और जीएसटी पर अमल के बाद भारतीय बाजार में सुधार हुआ है, मगर नीरव मोदी से जुडा करोडो रुपये का घोटाला उजागर होने के बाद उद्योग सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में बैंक सख्ती बरत रहे हैं, जिसका खामियाजा रत्न एवं आभूषण उद्योग को उठाना पड रहा है।

इस अंक में द इंडिया हेरिटेज ज्वेलरी डिजाइंस पर एक विशेष रिपोर्ट है, जिसका मुख्य फोकस मशीनीकरण के दौर में आभूषणों की डिजाइन में खोए हेरिटेज फैक्टर की खोज पर है। जहां तक भारतीय ज्वेलरी का सवाल है तो यह उतनी ही पुरानी है जितनी की हमारी सभ्यता। तमिलनाडु, ओडीसा, गुजरात, उत्तर प्रदेश आदि जगहों की विरासत और शिल्पकला को देखते हुए हेरिटेज और हैंडमेड ज्वेलरी के जरिए हम अपनी परंपरा और संस्कृति को जीवंतता प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं। भारतीय हेरिटेज ज्वेलरी डिजाइंस की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है जबकि अभी भी ऐसे कई देश हैं जहां के बाजारों में हमारे लिए अच्छी संभावनाएं हैं, मगर हम अभी वहां पहुंचे नहीं हैं। आभूषण बनानेवाले कारीगरों के विकास और उनकी बदहाली को दूर करने पर भी हमने इस अंक में खास फोकस किया है। यह कारीगर वास्तव में विेशकर्मा हैं, जो हमारी विरासत से प्रेरणा लेकर अपनी रचनात्कमता के जरिए उसे वास्तविकता में बदलते हैं। आभूषण बनाने के पारंपरिक कौशल में अगली पीढμी की रुचि कैसे बढाई जाए, इस बारे में भी हमने चर्चा की है। समय की मांग है कि उद्योग के सभी सदस्य भारतीय शिल्प कौशल के संरक्षण व विकास के साथ ही भारतीय कारीगरों के विकास के लिए हाथ मिलाएं ताकि भारत के प्राचीन गौरव को फिर से जीवित किया जा सके।



ए सुब्रमण्यम
संपादक