डायमंड इंडस्ट्री मंदी की गिरफ्त में है। इतिहास में पहली बार इस इंडस्ट्री को सबसे बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है। एसएमई सेगमेंट की कंपनियां ज्यादा शिकार हैं। ऐसा नहीं कि यह मंदी केवल भारत में ही है। यह सर्वत्र है। इंटरनेशनल मार्केट में भी कंपनियां भारी प्रतिस्पर्धा और चुनौति से जुझ रही हैं। हाल ही में भारत डायमंड बोर्स ने भारत डायमंड वीक का आयोजन किया। आश्चर्य की बात है कि इस शो में विरले ही खरीदार दिखे। यह शो एकदम फीका रहा। डायमंड बोर्स वीक में भाग लेने वालों ने वैसे तो खरीदारों के लिए शानदार ऑफ़र रखे थे, लेकिन उसे कोई लेने वाला नहीं था। यह सही में हीरा क्षेत्र की बदहाली को दर्शाता है। इस मंदी से उबरने में कितना समय लगेगा यह समय ही बताएगा। यह केवल हीरा व्यापारियों के धैर्य और दृढ़ संकल्प है जो उन्हें इस बिजनेस में बने रहने के लिए प्ररित करता है।

सूरत में भी मंदी पसरी हुई है। दिवाली कैसे गुजरेगी। व्यापारियों के चेहरे गमगीन हैं। हो सकता है दिवाली के बाद इंडस्ट्री में काम कर रहे कर्मचारियों की कहीं नौकरी न चली जाए। मार्केट में खरीदार नहीं हैं। लूज पॉलिश डायमंड्स की इंवेंटरी बढ़ती चली जा रही है। गौरतलब है कि हीरे की कटिंग और पॉलिश करने वाली मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के यहां हीरे को काटने और डायमंड स्टोन्स की पॉलिश करने वाले हजारों कर्मचारी काम के लिए नियुक्त किये जाते हैं। मंदी से बदहाल डायमंड इंडस्ट्री को सपोर्ट करने और इस क्षेत्र के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करने के इरादे से द न्यू ज्वैलर हिन्दी की ब्यूरो हेड रचना पांडे ने अपने इस विशेष अंक को डायमंड सिटी सूरत के नाम समर्पित किया है। इस अंक में सुश्री पांडे ने सूरत डायमंड एसोसिएशन, सूरत डायमंड एंड ज्वैलरी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन, सूरत डायमंड बोर्स, गुजरात हीरा बोर्स और जीजेईपीसी क्षिेत्रीय चैप्टर्रें के प्रमुखों के साक्षात्कारों और लेखों को शामिल किया है। द न्यू ज्वैलर का यह दिवाली संस्करण अत्यंत संदर्भित और शिक्षाप्रद अंक है।

डायमंड इंडस्ट्री में त्वरित और सकारात्मक बदलाव के लिए प्रार्थना के साथ आप सबको खुशी और समृद्ध दिवाली की शुभकामनाएं।



सुब्बू
संपादक
द न्यू ज्वैलर हिंदी