वित्त मंत्री द्वारा पेश वार्षिक बजट में सोने के आयात शुल्क में कोई राहत या कमी नहीं की गई, बल्कि रफ कलर जेमस्टोन्स पर अतिरिक्त लेवी लगाकर इंडस्ट्री की तकलीफों में और इजाफा कर दिया गया है। इन सब में राहत की बात सिर्फ़ ये रही कि जिन कंपनियों का वार्षिक कारोबार ५ करोड़ रुपए से कम है, उन्हें अपने वित्तीय खातों की ऑडिटिंग से मुक्ति दे दी गई तथा कौशल विकास के लिए काफी बड़ा बजट आवंटित किया गया, जिनका लाभ इंडस्ट्री उठा सकती है। आज जेम और ज्वेलरी इंडस्ट्री जिस हालत में है, उसमें बजट से काफी उम्मीदें की जा रही थीं। कारोबारियों को उम्मीद थी कि इस बार बजट कुछ ऐसा होगा कि वे अपने-अपने कारोबार में विस्तार और बढ़ोत्तरी करते हुए इंडस्ट्री को फिर से नई ऊंचाइयों पर ले जा सकेंगे।

जेम एवं ज्वेलरी सेक्टर में भारत का परिदृश्य बहुत बड़ा है तथा देश में कई प्रदर्शनी और ज्वेलरी शो आयोजित किए जाते हैं। इनमें एक है जेम एंड ज्वेलरी काउंसिल द्वारा जीजेएस (जेम एंड ज्वेलरी शो) का भव्य आयोजन। इस शो को लेकर इंडस्ट्री में अच्छी चर्चा हो रही है तथा इसमें जेम और ज्वेलरी के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए हर साल आयोजित होने वाले आईआईजेएस को पीछे छोड़ देने की संभावनाएं मौजूद हैं। यह निश्चित रूप से शो आयोजित करने के समय और इसमें आने वाले खरीदारों की संख्या पर निर्भर करेगा, जो शो के सेल्स टर्नओवर में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। इसका आयोजन अप्रैल (२०२०) में किया जा रहा है, जो फिलहाल समय के लिहाज से सही प्रतीत होता है।

वैश्विक आयोजनों की बात करें तो, एचकेटीडीसी द्वारा मार्च महीने में आयोजित होने वाला हांगकांग जेम एंड ज्वेलरी शो को तमाम एशियाई देशों में तेजी से फैल रहे कोरोना वाइरस के मद्देनजर स्थगित किया जा सकता है। इसमें भाग लेने या खरीदी करने के इच्छुक एक्जीबिटर्स और बायर्स को सलाह दी जाती है कि वे अपना निर्णय लेने से पहले सरकार द्वारा की जाने वाली घोषणाओं का ध्यान रखें।

जेम और ज्वेलरी के कारोबार में लंबे समय के लिए बेहतर सस्टैनबिलिटी और ग्रोथ आए, हम यही प्रार्थना करते हैं।



सुब्बू
संपादक
द न्यू ज्वैलर हिंदी