जीजेईपीसी ने सूरत में डायमंड डिटेक्शन एक्स्पो और
संगोष्ठी का आयोजन किया

  • पूरे भारत में २१ शहरों में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान हुआ

  • सूरत के हीरा संघों ने अपनी प्रतिष्ठा को संरक्षित करने का वचन दिया

  • जीजेईपीसी अध्यक्ष ने सूरत और आस-पास के उन सभी संगठनों को ५०% डिस्काउंट देने का ऑफर किया जो सिंथेटिक हीरा डिटेक्शन मशीन लगाना चाहते हैं।


श्री प्रवीणशंकर पांड्या (अध्यक्ष, जीजेईपीसी) और श्री टॉम मोसेस (कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य प्रयोगशाला और अनुसंधान अधिकारी, जीआईए) १४ और १५ अप्रैल २०१७ को डायमंड डिटेक्शन एक्स्पो और संगोष्ठी (डीडीईएस २०१७) का उद्घाटन सूरत के समस्त पाटीदार समाज भवन में श्री दिनेश नवाडिया (अध्यक्ष, सुरत डायमंड एसोसिएशन और गुजरात के क्षेत्रीय अध्यक्ष, जीजेईपीसी) की मौजूदगी में किया। इस अवसर पर सुश्री निरुपा भट्ट (प्रबंध निदेशक, अमेरिका, भारत और मध्य पूर्व, जेमोलोजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ अमेरिका) और श्री आशीष मेहता (संयोजक, एनडीएमसी, जीजेईपीसी) उपस्थित थे।

भारत के जेम एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री की शीर्ष निकाय जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) अप्रैल माह में १४ और १५ अप्रैल, २०१७ को सूरत के समस्त पाटीदार समाज भवन में डायमंड डिटेक्शन एक्सपो एंड सिंपोसियम (डीडीईएस २०१७) के दूसरे संस्करण का आयोजन किया। दुनिया के सबसे बड़े डायमंड मैन्यूफैक्चरिंग सेंटर सूरत में आयोजित इस खास तरह की एक्सपो में सिंथेटिक हीरे की पहचान के लिए सभी प्रमुख जेमोलोजिकल लैबोरेटरीज ने भाग लेकर अपने विभिन्न प्रकार की मशीनरी, उपकरण और प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन एक छत के नीचे किया। इस दो दिवसीय इवेंट का आयोजन नेचरल डायमंड मॉनिटरिंग कमेटी (एनडीएमसी) के तत्वावधान में जीजेईपीसी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

श्री प्रवीणशंकर पांड्या (अध्यक्ष, जीजेईपीसी) और श्री टॉम मोसे (कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य प्रयोगशाला और अनुसंधान अधिकारी, जीआईए) ने दिनेश नवाडिया (अध्यक्ष, सुरत डायमंड एसोसिएशन और गुजरात के क्षेत्रीय अध्यक्ष जीजेईपीसी) की उपस्थिति में डीडीईएस २०१७ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उपस्थित महानुभावों में श्री आशीष मेहता (संयोजक, एनडीएमसी, जीजेईपीसी), सुश्री निरुपा भट्ट (प्रबंध निदेशक, अमेरिका, भारत और मध्य पूर्व, जीओलॉजिकल इंस्टीट्यूट) और श्री सेवेंतिलाल प्रेमचंद शाह (संस्थापक पार्टनर, वीनस ज्वैल) भी थे। इस अवसर पर सूरत से हीरे, रत्न और आभूषण कारोबार के कई प्रमुख व्यक्ति भी उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र के दौरान, श्री दिनेश नवाडिया (अध्यक्ष, सुरत डायमंड एसोसिएशन और गुजरात के क्षेत्रीय अध्यक्ष जीजेईपीसी) और टड्ढेड के कई सदस्यों ने शपथ लिया कि वे सूरत की प्रतिष्ठा को बनाए रखेंगे और किसी भी तरह की अप्रियता में शामिल होने से बचेंगे। वास्तव में, श्री पांड्या ने सूरत और आसपास के इलाकों के सभी संगठनों के लिए विशेष ५०% छूट की घोषणा की, जो हीरा पहचान मशीनों को स्थापित करना चाहते हैं।

जीजेईपीसी के अध्यक्ष प्रवीणशंकर पांड्या ने कहा कि डीडीईएस भारत से हीरे के वैश्विक व्यापार और उपभोक्ता विश्वास को संरक्षित करने के लिए कई सामरिक पहलों में से एक है। सूरत - चूंकि दुनिया का सबसे बड़ा हीरा विनिर्माण केंद्र - डीडीईएस २०१७ के लिए सही स्थान है, क्योंकि यह दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे उन्नत सस्ते हीरे काटने वाले कारखानों सहित ५००० से अधिक हीरे के निर्माण इकाइयों का शहर है। डिजिटल पहल का लाभ उठाकर, हम पूरे भारत में प्रमुख गहनों के विनिर्माण केंद्रों का आधुनिकीकरण करने और उन्हें कृत्रिम पहचान के उपकरण और तकनीकों से सशक्त बनाना चाहते हैं ताकि सिंथेटिक अवयवों के अघोषित मिश्रण से खुद को बचा सके। किसी भी रूप में मिश्रण करना अस्वीकार्य है।

श्री पांड्या ने कहा कहा कि जीजेईपीसी साल २०१३-१४ के बाद से सिंथेटिक डायमंड्स के बारे में डिटेक्शन, डिफ्रेंशिएशन, डिसक्लोजर्स और डॉक्यूमेंटेशन के प्रति जागरूकता अभियान चलाया है। हम इसमें सभी प्रमुख हितधारकों को लगातार सक्रिय रूप से शामिल कर रहे हैं क्योंकि हमने महसूस किया है कि ये मिश्रण से वैश्विक जेम्स एंड ज्वैलरी बिजनेस में भारत की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता को आंच आएगी जो हम होने नहीं देंगे। हम दृढ़ कार्रवाई और एनडीएमसी जैसी संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ विश्वास और भरोसे को बहाल करने में सक्षम हैं। हमने अनुसंधान के संचालन के लिए ए.टी. केर्नी और बोनस एंड कं जैसे स्वतंत्र अनुसंधान फर्मों को नियुक्त किया है। जीजेईपीसी ने एक अलग एचएससी कोड के लिए सरकार से आग्रह किया और केंद्रीय बजट २०१६ में ७१०४ ९०१० (सिंथेटिक हीरे) और ७१०४ ९०९० (सिंथेटिक स्टोन) बनाया गया। बीडीबी ने आक्रामक रुख अपनाते हुए दोषी को हटाया। हमें वर्षों से हमारे नेतृत्व और प्रतिष्ठा को बनाए रखना है। हमें पूरे भारत के २१ शहरों में जागरूकता अभियान शुरू करना चाहिए।

श्री दिनेशभाई नवाडिया (अध्यक्ष, सुरत डायमंड एसोसिएशन और गुजरात के क्षेत्रीय अध्यक्ष, जीजेईपीसी) ने कहा कि सूरत दुनिया का सबसे बड़ा डायमंड हब है। यहां दुनिया के ९०% से अधिक हीरों की पॉलिश हो रही है। हमें उद्योग की छवि को धूमिल करने वालों के खिलाफ और उपभोक्ता विश्वास को कम करने वाले अनैतिक तत्वों के खिलाफ कदम उठाने के लिए सक्रिय और त्वरित होना चाहिए। हाल के दिनों में जेम क्वालिटी सिथेंटिक स्टोन्स के उत्पादन में वृद्धि हुई है। ऐसे कारकों में भी वृद्धि हुई है जहां ग्राहकों ने नेचरल डायमंड समझकर सिंथेटिक हीरों को खरीदा हैं। डायमंड डिटेक्शन एक्सपो और संगोष्ठी जैसे इवेंट्स ट्रेडर्स और मैन्यूफैक्चरर्स को सिंथेटिक स्टोन्स से अवगत कराते हैं और इसकी पहचान के लिए विभिन्न पहचान सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। डीडीईएस ने सभी निर्माताओं और व्यापारियों को सिंथेटिक हीरा डिटेक्शन मशीन और उपकरण प्रौद्योगिकियों और तकनीकों से अवगत होने के लिए एक बढ़िया अवसर प्रदान किया।


श्री प्रवीणशंकर पांड्या (अध्यक्ष, जीजेईपीसी) की मौजूदगी में श्री दिनेश नवाडिया (अध्यक्ष, सुरत डायमंड एसोसिएशन और गुजरात के क्षेत्रीय अध्यक्ष जीजेईपीसी) और ट्रेड के कई सदस्यों ने डीडीईएस २०१७ में प्रतिज्ञा ली कि वे सूरत की प्रतिष्ठा को बचाए रखें और किसी भी अप्रियता में शामिल नहीं होंगे।

श्री आशिष मेहता (संयोजक, एनडीएमसी, जीजेईपीसी) ने कहा कि एनडीएमसी ने निष्पक्ष व्यापार की सुविधा देने और किसी भी अयोग्य उदाहरणों को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं जो प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हम सिंथेटिक डायमंड्स की पहचान के लिए त्वरित, प्रभावी और किफायती साधन बनाने की मांग कर रहे हैं। त्वरित जांच मशीनों को एचपीएचटी टाइप आईआईबी हीरों को स्कैन करने में कुछ सेकंड लगते हैं और परीक्षण -२ और -४ वस्तुओं के लिए अच्छा है। हम ऐसे मशीन चाहते हैं, जो प्रयोग करने में आसान और सरल हो। बोनस एंड कं ने ४ महाद्वीपों और ४ महीनों में एक अध्ययन किया है, जो यह दर्शाता है कि चोटी के अनुमानित उत्पादन पर भी, सिंथेटिक हीरे कुल प्राकृतिक हीरा उत्पादन मात्रा का केवल २-३% हैं। एचपीएचटी के माध्यम से सिंथेटिक हीरा उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है, जबकि सीवीडी माध्यम धीमी है। चीन एचपीएचटी उत्पादन में रूस (बड़े पीस) के साथ अग्रणी है जबकि सिंगापुर सीवीडी उत्पादन में अग्रणी है। सिंथेटिक हीरे का तेजी से विकास हुआ है, लेकिन उतना नहीं जितना हाल ही में अपुष्ट रिपोर्टों ने संकेत दिया है। बाजार में इसका कोई प्रभाव नहीं है सिर्फ एक मानसिक प्रभाव है। आज के वर्षों में निरंतर विपणन के कारण प्राकृतिक हीरे का कारोबार काफी बढ़ गया है। सिंथेटिक हीरा निर्माताओं को इस मार्केट को पकड़ने में लंबा समय लगेगा।

बोनस एंड कंपनी, डायमंड ब्रोकर्स एंड कंसल्टेंट्स की सुश्री परूल ने सिंथेटिक हीरे के परिदृश्य पर चार भाग के अध्ययन के भाग १ और २ की प्रमुख निष्कर्ष प्रस्तुत किए, जिसमें मूल्य श्रृंखला, प्रमुख खिलाड़ियों, उत्पादन के प्रकार और मशीनों का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने सिंथेटिक हीरा रिटेल लैंडस्केप, आउटपुट क्षमता आदि को भी छुआ। मशीनरी के आधार पर अधिकतम संभव उत्पादन ( ब्रेकेजेस, डाउनटाइम, असफलता को ध्यान में नहीं लेते हुए), सिंथेटिक हीरे २.३ एमएन से ४.२ एमएन हैं जबकि १२७.४ एमएन नेचरल डायमंड का उत्पादन है। उन्होंने कहा कि रफ सिंथेटिक हीरे की पहचान करना आसान है - सीवीडी प्रक्रिया एक अद्वितीय ट्यूबलर उत्पादन मिलती है जिसमें ज्यादातर भूरे रंग का रंग होता है जबकि एचपीएचटी के माध्यम से उत्पादित सिंथेटिक हीरे में क्यूबो-ऑक्टाहेडड्ढल और फैंसी येलो होते हैं। अमेरिका, सिंथेटिक हीरे की रिटेलिंग के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, जबकि भारत, चीन और सिंगापुर उत्पादन हब हैं। रूस (बड़े पीस) से भी कुछ वाणिज्यिक उत्पादन है। यूरोप में कुछ उत्पादक हैं, लेकिन वे ज्यादातर आर एंड डी चरण में हैं। १०.२ केटी वीएस १ और ५.२ केटी वीएस १ फैंसी गहरे नीले रंग के साथ बड़े आकार के सिंथेटिक हीरे के होने के उदाहरण सामने आए हैं। व्यापार को विनियमित करने के लिए एफटीसी और आईएसओ ने दिशानिर्देश बनाए हैं। इन कारणों से यह टड्ढेड फिलहाल असंजस ल उलझन की स्थिति में है और इसे सही दिशा की तलाश में और परामर्श और समर्थन की बहुत जरूरत है।

डीडीईएस २०१७ ने सिंथेटिक हीरे की पहचान करने के लिए विभिन्न तकनीकों पर ज्ञान देने के लिए व्यापारिक सदस्यों के साथ बातचीत करने के लिए अग्रणी प्रयोगशालाओं और सेवा प्रदाताओं के साथ कृत्रिम हीरा पहचान मशीनों और उपकरणों को उपलब्ध कराने वाली कंपनियों के लिए एक अवसर बनाया। प्रदर्शनीकर्ताओं में जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका (जीआईए), जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (जीआईआई), जेमोलॉजिकल साइंस इंटरनेशनल, इंडियन डायमंड इंस्टीट्यूट, इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट, डीआरसी टेक्नो, एचआरडीएन्टवर्प और आईआईडीआईआर शामिल थे। इक्विपमेंट में एएमएस मशीन, डायमंड चेक, डायमंड सर्वे, स्पॉटर, पीटीआईआर स्पेक्ट्रोस्कोपी आदि शामिल थे।

डीडीईएस २०१७ ने सिंथेटिक हीरे की पहचान करने के लिए विभिन्न तकनीकों पर ज्ञान देने के लिए व्यापारिक सदस्यों के साथ बातचीत करने के लिए अग्रणी प्रयोगशालाओं और सेवा प्रदाताओं के साथ कृत्रिम हीरा पहचान मशीनों और उपकरणों को उपलब्ध कराने वाली कंपनियों के लिए एक अवसर बनाया। प्रदर्शनीकर्ताओं में जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका (जीआईए), जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (जीआईआई), जेमोलॉजिकल साइंस इंटरनेशनल, इंडियन डायमंड इंस्टीट्यूट, इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट, डीआरसी टेक्नो, एचआरडीएन्टवर्प और आईआईडीआईआर शामिल थे। इक्विपमेंट में एएमएस मशीन, डायमंड चेक, डायमंड सर्वे, स्पॉटर, पीटीआईआर स्पेक्ट्रोस्कोपी आदि शामिल थे।


बाएं से दाएं : श्री दिनेश नवाडिया (अध्यक्ष, सुरत डायमंड एसोसिएशन और गुजरात के क्षेत्रीय अध्यक्ष जीजेईपीसी), श्री प्रवीणशंकर पांड्या (अध्यक्ष जीजेईपीसी), श्री सेवंतिलल प्रेमचंद शाह (संस्थापक साथी, वीनस ज्वैल) श्री आशीष मेहता (संयोजक, एनडीएमसी, जीजेईपीसी) और श्री रिकी रिबेरो, जेटीएम (ज्वैलरी टेक्नोलोजी और मशीनरी) डीडीईएस २०१७ पर विशेष रिपोर्ट के अनावरण मौके पर उपस्थित रहे।

हाल के एनडीएमसी अध्ययन की मुख्य सिफारिशों में इंडस्टड्ढी के लिए डिटेक्शन टेक्नोलोजी में सुधार लाना था। यह जेम एंड ज्वैलरी इंडस्टड्ढी के लिए आवश्यक है कि सिंथेटिक हीरे पर ज्ञान और जानकारी के बारे में जानकारी रखें जिससे कि उपलब्ध विभिन्न प्रौद्योगिकियों के माध्यम से इसका पता लगाया जा सके। इसी आधार पर जीजेईपीसी ने भारत डायमंड बॉर्से (बीडीबी) के साथ मिलकर डायमंड डिटेक्शन एक्सपो एंड सिपोजियम (डीडीईएस २०१५) का आयोजन १५ से १६ दिसंबर २०१५ को मुंबई में किया था। हाल के दिनों में जेम क्वालिटी सिंथेटिक स्टोन्स के उत्पादन में वृद्धि हुई है। ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिसमें ग्राहकों ने नेचरल डायमंड समझकर सिंथेटिक डायमंड्स खरीद लिया है। इस तरह के मामलों की गंभीरता को देखते हुए, जीजेईपीसी ने इसे एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के रूप में अव्यवस्थित मिश्रण के मुद्दे को और अधिक विस्तार से अध्ययन करने और उसके बाद उसे संबोधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसका मुख्य उद्देश्य अलग-अलग प्रौद्योगिकी नवाचार और अपनाना जिससे कि अनुसंधान निकायों के बीच समन्वय सुनिश्चित करके नवाचार किया जा सके। उत्पादन के पैमाने को बढ़ाने के लिए डिवाइस निर्माताओं के साथ समन्वय किया जा सके और पैमाने को सक्षम करने और खिलाड़ियों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करके अधिग्रहण लागत और कम करने की ओर बढ़ा जा सके।

जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के बारे में
१ ९ ६६ में स्थापित, जीजेईपीसी ने वर्षों से प्रभावी रूप से जेम एंड ज्वैलरी क्षेत्र को एक शक्तिशाली इंजन बनाने के लिए अलग-अलग निर्यातकों के बिखरे हुए प्रयासों को ढाला है जो भारत के निर्यात-आधारित विकास को चलाने में एक शक्तिशाली इंजन है। जेम एंड ज्वैलरी उद्योग के इस शीर्ष निकाय ने भारतीय जेम एंड ज्वैलरी इंडस्टड्ढी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जीजेईपीसी लगातार अंतरराष्ट्रीय मानकों के लिए प्रशिक्षित कारीगरों और डिजाइनरों का एक पूल बनाने की दिशा में काम कर रहा है ताकि भारतीय आभूषण उद्योग को मजबूत किया जा सके और इसे गहने क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया जा सके। पूरे देश में ५,२०० सदस्यों की ताकत के साथ, परिषद मुख्य रूप से भारतीय जेम एंड ज्वैलरी उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेश करने और अपने निर्यात को बढ़ावा देना शामिल है। इसे प्राप्त करने के लिए, परिषद अपने सदस्यों को विदेशी व्यापार पूछताछ, व्यापार और टैरिफ नियमों, आयात शुल्क की दरों, और आभूषण मेले और प्रदर्शनियों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।