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जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) ने केंद्र सरकार को सौंपे अपने वर्ष २०२१-२२ के बजटीय ज्ञापन में कट और पॉलिश्ड डायमंड्स में २.५% की कमी, सोने और अन्य कीमती धातुओं के आयात शुल्क में ४% तक की कमी और जी एंड जे इंडस्ट्री के लिए टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड (ढणऋ) योजना, अतिरिक्त कॉमन फैसिलिटी सेंटर्स (सीएफसी) और जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट सेक्टर को और मजबूत बनाने की सिफारिश की है।
अध्यक्ष जीजेईपीसी जेम एंड ज्वैलरी के निर्यात को बढ़ावा देने वाली अग्रणी संस्था जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) ने वित्त वर्ष २०२१-२२ के आगामी केंद्रीय बजट के लिए वित्त मंत्रालय को अपनी सिफारिशें पेश की हैं। इसमें इंडस्ट्री के हित में अनेक प्रस्ताव हैं। इन प्रस्तावों को जीजेईपीसी के अधिकारियों ने वित्त मंत्री से मुलाकात करके सौंपा। बजटीय प्रस्तावों में सोने के आयात, कट और पॉलिश किए गए हीरे, प्रेसियस एवं सेमिप्रेसियस जेमस्टोन्स आदि के आयात शुल्कों में कटौती करने की अपील सरकार से की गई है। जीजेईपीसी ने सरकार से कट और पॉलिश किए गए हीरे के आयात शुल्क को वर्तमान ७.५ प्रतिशत से घटाकर २.५ प्रतिशत और प्रेसियस एवं सेमिप्रेसियस जेमस्टोन्स के आयात शुल्क को मौजूदा ७.५ प्रतिशत से कम करके २.५ प्रतिशत करने की मांग की है। सोने और अन्य कीमती धातुओं के आयात शुल्क को भी मौजूदा १२.५% से घटाकर ४% करने का प्रस्ताव किया गया है। शुल्कों में कटौती के अलावा, जीजेईपीसी ने भारत को अपनी सिफारिशों के आधार पर दुनिया में जेम्स एंड ज्वैलरी के एक्सपोर्ट का सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र भी बनाने का प्रस्ताव किया है। वित्त वर्ष २०२१-२२ के केंद्रीय बजट की सिफारिशों की घोषणा करते हुए जीजेईपीसी के अध्यक्ष कॉलिन शाह ने कहा कि यह साल सभी के लिए कठिन साल रहा है और हमें सरकार की सराहना करनी चाहिए कि उन्होंने महामारी के दौरान आर्थिक गति को पटरी पर लाने के लिए त्वरित उपाय किया और सुनिश्चित किया कि लॉकडाउन के दौरान जेम्स एंड ज्वैलरी का निर्यात बंद न हो। भारत सरकार के आत्मनिर्भर और वोकल फॉर लोकल के लिए जीजेईपीसी एक आदर्श उदाहरण है। सरकार की इन दोनों योजनाओं से देश आत्मनिर्भर बनेगा और दुनिया में सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के रुप में बनकर उभरेगा। उन्होंने आगे कहा कि जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर शत-प्रतिशत आयात आधारित क्षेत्र है और यहां ४.३ मिलियन लोगों को रोजगार मिला हुआ है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी इसका ७% का योगदान है। इसके अलावा भारत हीरे को काटने और चमकाने में विश्व का अग्रणी देश है। इस लिए देश के इस इंडस्टड्ढी को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने और वैश्विक लीडर बनने के लिए हमें सरकार से अनुरोध है कि वे केंद्रीय बजट में हमारी प्रस्तावित सिफारिशों को स्वीकार करें। व्हाईस चेअरमन, जीजेईपीसी जीजेईपीसी द्वारा वित्त वर्ष २०२१-२२ के केंद्रीय बजट की सिफारिशें इस प्रकार हैं:
चालू खाते के घाटे को कम करने और देश में कट एवं पॉलिश किये हुए हीरे के आयात को कम करने के इरादे से भारत सरकार ने फरवरी २०१८ में पॉलिश हीरे पर आयात शुल्क २.५% से बढ़ाकर ५% और सितंबर २०१८ में ७.५% कर दिया था। जीजेईपीसी का प्रस्ताव है कि सरकार निर्यातकों को निर्यात किये गये कुल सीपीडी का १० प्रतिशथ शून्य शुल्क पर आयात करने की अनुमति दी जाए। कीमती धातु के सोने पर आयात शुल्क में की गई अनेक वृद्धि के परिणामस्वरूप देश में आज सोना दक्षिण कोरिया और मलेशिया जैसे देशों से सोना आ रहा है क्योंकि इन देशों के साथ भारत ने मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) किए हैं। इससे घरेलू बाजारों में प्राइस आर्बिटड्ढेज बढ़ी है। बैंकिंग चैनल और अनऑफिशियल चैनलों से आए सोने की कीमतों में काफी अंतर होते हैं। इन अंतरों के कारण निर्माताओं / खुदरा विक्रेताओं / सराफा आयात करने वाली एजेंसियों / रिफाइनर और इसके कारोबार से जुड़े लोगों कों काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इंडस्ट्री से जुड़ी बड़ी कंपनियों को हाई इंपोर्ट ड्यूटी सीधे प्रभावित कर रहा है। सोने पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (बीसीडी) कम करने से तस्करी से आने वाले सोने के आयात को रोका जा सकेगा। वर्ष २०१७-२०१८ में कलर्ड जेमस्टोन्स का आयात ६००.६४ रुपए करोड़ से घटकर ३१० करोड़ रुपए हो गया जो दर्शाता है कि २९० करोड़ रुपए कलर्ड जेमस्टोन्स के प्रोसेसिंग के काम में गिरावट आई है। इसके अलावा, कलर्ड जेमस्टोन्स और इससे संबंधित ज्वैलरी इंडस्ट्री में कोरोना महामारी के दौरान दो लाख कार्यरत कर्मचारियों को रिटेन किया है। साथ ही इस सेक्टर के मैन्युफैक्चरिंग में अगले दो साल में ३०,००० से अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता हो सकती है। कलर्ड जेमस्टोन्स औऱ इससे संबंधित ज्वैलरी दोनों का संयुक्त निर्यात भी दो साल के भीतर २०० मिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। रफ कलर जेमस्टोन्स पर फिलहाल बेसिक कस्टम्स ड्यूटी केवल ०.५% है, जबकि रफ जेमस्टोन्स से कट एंड पॉलिश्ड जेमस्टोन्स (फिनिश्ड प्रोडक्ट्स) में करवर्जन यील्ड ८ से १० प्रतिशत के बीच है। इसलिए फिनिश्ड प्रोडक्ट्स पर इस शुल्क का प्रभाव ५% जितना है यानी हमारे कट और पॉलिश किए हुए जेमस्टोन्स ५% तक महंगे हो जाएंगे। बीसीडी ०.५% लेवी होने से रफ जेमस्टोन्स के आयात शिपमेंट की मंजूरी में भी देरी हो रही है। मुंबई के एसएनजेड में यदि रफ डायमंड्स की बिक्री की अनुमति दी जाती है, तो रफ डायमंड्स के तकरीबन २०% कारोबारी एसएनजेड में आ जाएंगे और सरकार भी इनसे ३.४८ मिलियन अमेरिकी डॉलर (२३.२० करोड़ रुपये के बराबर) का अतिरिक्त टैक्स भी वसूल सकेगी। एसएनजेड में फिलहाल रफ डायमंड्स को देखने की अनुमति है और इसकी बिक्री की अनुमति नहीं है। अब तक, लगभग १.९७ बिलियन डॉलर के लगभग ११ मिलियन कैरेट मुंबई के एसएनजेड को कंसाइनमेंट / देखने के आधार पर भेजी गई है और बोली / निविदा के बाद हीरे को एंटवर्प, दुबई जैसे गंतव्यों में वापस भेज दिया जाता है। कैरेट टैक्स को वित्तीय वर्ष २०१६ (कर वर्ष २०१७) से लागू किया गया है। बेल्जियम में पंजीकृत डायमंड-ट्रेडिंग कंपनियों के लिए यह अनिवार्य है, लेकिन इसका दायरा वास्तविक हीरे के व्यापार से उत्पन्न होने वाले कारोबार तक सीमित है। अन्य गतिविधियों द्वारा उत्पन्न टर्नओवर जैसे प्रदान की गई सेवाओं पर अलग से कर लगाया जाता है क्योंकि वे कैरेट कर के दायरे में नहीं हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और लोकल ट्रेड एसोसिएशनों (एलटीए) के समर्थन से जीजेईपीसी ने डायमंड इंडस्ट्री ने गुजरात में पहले चरण में ४ सीएफसी स्थापित किए हैं। दूसरे चरण में इसके द्वारा ६ और सीएफसी शुरु किये जाएंगे जिसमें से ४ फरवरी २०२१ तक तैयार हो जाएंगे। पहले चरण के सीएफसी की सफलता से कलस्टर वाले एसएमई को काफी फायदा हुआ है। इसके माध्यम से उन्होंने अपने सामानों को द्वार तक पहुंचाया है, सामानों की सेफ डिलिंग, मैन्युफैक्चरिंग लागत को कम करने, प्रिंसिपल मैन्युफैक्चरर्स पर निर्भर हुए बिना प्रोसेस १०० प्रतिशत पूरा करना, रोजगार सृजन, गुणवत्ता में सुधार करने में मदद भी मिली है। इसे देखते हुए हमें पूरा विश्वास है कि यह योजना दूसरे चरण में भी उत्प्रेरक का काम करेगी। ऐसे केंद्रों की सफलता को देखते हुए अब पूरे भारत में इसतरह के केंद्र खोलने की मांग उठने लगी है। इस बारे में अनेक एसोसिएशनों ने जीजेईपीसी से संपर्क किया है। नई आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए और दूसरे चरण के सीएफसी के काम को पूरा करने के लिए जीजेईपीसी ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से अनुरोध किया है कि इस योजना को वित्त वर्ष २०२५-२६ तक बढ़ाया जाए ताकि ३०-४० कलस्टर्स को इसमें शामिल किया जा सके। ऐसे कलस्टर्स की पहचान एनसीएईआर द्वारा किए गए अध्ययन पर आधारित होगी और इन्हें योजना दस्तावेज में बताई गई प्रक्रिया ही चयन किया जाएगा। इसके लिए १२० से १६० करोड़ रुपए बजट आवंटन की जरुरत होगी। मेगा सीएफसी भारत सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल का समर्थन करता है। मेगा सीएफसी जेम एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री को टेक्नोलोजी में मजबूत बनाएंगे ताकि वे जेम्स एंड ज्वैलरी के क्षेत्र में इन्नोवेशन ला सकें और भारत को ग्लोबल लीडर बना सकें। जेम एंड ज्वैलरी सेक्टर में टेक्नोलोजी प्रमुख चुनौतियों में से एक है। यहां एडवांस टेक्नोलोजी की आवश्यकता होती है जिससे की उत्पादकता को बढ़ाया जा सके, लागत को कम किया जा सके, गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का भी सामना किया जा सके। जीजेईपीसी ने टेक्नोलोजी अपग्रेडेशन फंड स्कीम का प्रस्ताव रखा है; -५% ब्याज सब्सिडी टीयूएफ योजना के अंदर अगले दो साल में १००० से अधिक यूनिटों को फायदा होने की गुंजाइश है और इसपर कुल २२४ करोड़ रुपए लागत आने की उम्मीद है। मौजूदा कोरोना महामारी के दौरान इमिटेशन ज्वैलरी की मांग निश्चित रुप से बढ़ेगी। इसके लिए निम्नांकित सुझाव हैः -आयात हेतु न्यूनतम वैल्यू का निर्धारण ज्वैलरी में सिंथेटिक स्टोन्स के बढ़ते उपयोग से स्टोन्स की मांग बढ़ने लगी है। चूंकि इसका उत्पादन हमारे यहां नहीं है, इसलिए इसे आयात करना पड़ता है क्योंकि हम कैलिब्रेटेड गुणवत्ता वाले स्टोन्स का उत्पादन नहीं कर पाते। फिनिश्ड सिंथेटिक स्टोन्स के आयात शुल्क में बढ़ोतरी से हमारे स्थानीय मैन्युफैक्चर्स को ग्रो करने का मौका मिलेगा और आयात के विकल्प में मदद मिलेगी
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