जीएसआई ने उद्योग जगत को चेतावनी दीः अज्ञात लैब में बने रंगीन हीरों में हुई बढ़ोतरी

डायमण्ड एवं ज्वैलरी सर्टिफिकेशन में ग्लोबल लीडर जेमोलोजिकल साइंस इंटरनेशनल (जीएसआई) ने अज्ञात लैबोरेटरी में विकसित भूरे, पीले और गुलाबी हीरों में बढ़ोतरी को लेकर उद्योग जगत को आगाह किया है, ये हीरे प्राकृतिक हीरों के रूप में प्रस्तुत कर प्राकृतिक हीरों के आभूषणों में घुसपैठ की कोशिश की जा रही है।

‘‘पिछले कुछ महीनों में हमारी टीम ने पाया है कि लैब में बने रंगीन हीरे, मुख्य रूप से भूरे, पीले और गुलाबी हीरों को प्राकृतिक रंग के हीरों के साथ आभूषणों में मिक्स किया जा रहा है।’’ डेब्बी अज़र, प्रेज़ीडेन्ट एवं सह-संस्थापक, जीएसआई ने कहा।

जीएसआई तैयार आभूषणों की जांच के लिए प्रॉपराइटरी प्रक्रिया का उपयोग करता है। इसके लिए विशेष ज्ञान एवं विशेषज्ञता, आधुनिक उपकरणों और हाल ही से एआई इनेबल्ड उपकरणों की ज़रूरत होती है। हमारी जांच में अज्ञात लैब में बने रंगीन हीरों का पता चलता है।

जीएसआई द्वारा पहचाने गए ऐसे ज़्यादातर हीरे सिंगल नाइट्रोजन से युक्त टाईप2ए हैं। सभी को आभूषणों में जड़ा गया है और इनका साइज़ अलग-अलग मिली से लेकर 1 कैरट तक है।

कुछ मामालें में अज्ञात लैब में बने रंगीन हीरों को काट कर प्राकृतिक हीरों जैसा दिखाने की कोशिश की गई है। कई फ्रैक्चर, पिनपॉइंट क्लाउड और पॉलिश्ड ओवर ‘नैचुरल्स’ भी मिले हैं। इनमें ब्राउन ग्रेन लाईन्स भी देखी गई हैं। ये फ्रैक्चर प्राकृतिक हीरों से काफी मिलते जुलते हैं।

जीएसआई हीरों की पहचान के लिए उचित प्रक्रिया, उपकरणों एवं विशेषज्ञता के महत्व पर ज़ोर देती रही है।

हीरों के विकास में आधुनिक टेक्नोलॉजी के चलते, हीरा बनाने वालों के लिए प्राकृतिक हीरों की नकल करना काफी आसान हो गया है। जीएसआई तैयार आभूषणों में लैब ग्रोन हीरों की जांच में ग्लोबल लीडर है। वर्तमान में जीएसआई एकमात्र मुख्य लैब है जो तैयार हीरों के आभूषणों के लिए स्क्रीनिंग एवं जांच सुविधाएं पेश करती है। हर साल यहां लाखों हीरों की जांच की जाती है।