जीजेईपीसी ने वर्ष 2025 तक 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात के
लिए सरकार से पॉलिसी में बदलाव करने की मांग की

जीजेईपीसी ने केंद्र सरकार को दिये अपने बजटीय ज्ञापन में कट और पॉलिश किए गए हीरे पर आयात शुल्क में कमी, मुंबई के विशेष अधिसूचित क्षेत्र (एसएनजेड) में रफ हीरे की बिक्री की अनुमति देने के कराधान प्रावधानों में संशोधन और बजटीय सिफारिशों में रफ हीरे की बिक्री पर 2% इक्विलाइजेशन लेवी की छूट / क्लेरिफिकेशन की मांग की है ।

जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (जीजेईपीसी) ने अगले पांच वर्ष यानी वर्ष 2025 तक भारतीय जेम्स एंड ज्वैलरी के निर्यात को 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य बनाया है। गौरतलब है कि जीजेईपीसी जो कि भारतीय जेम एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री की अग्रणी संस्था है, ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार से जेम्स एंड ज्वैलरी के निर्यात से संबंधित नियमों में कुछ नीतिगत बदलाव करने की अपील की है।

जीजेईपीसी ने केंद्र सरकार दो दिये अपनी बजट सिफारिशों में सरकार से इंडियन डायमंड इंडस्ट्री के लिए निम्नलिखित तत्काल नीतिगत सुधार करने की मांग की है:

• कट और पॉलिश किए गए हीरे के आयात शुल्क मौजूदा 7.5% से घटाकर 2.5% करना
•मुंबई के विशेष अधिसूचित क्षेत्र (एसएनजेड) में रफ हीरे की बिक्री की अनुमति देने के लिए कराधान प्रावधानों में संशोधन करना
• रफ हीरे की बिक्री पर 2% इक्विलाइजेशन लेवी (ईएल) की छूट / क्लारीफिकेशन

निर्यात क्षेत्र में भारत की उपस्थिति मजबूत रही है। वर्ष 2001 में भारत का डायमंड एक्सपोर्ट्स जो केवल 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, वर्ष 2010 में बढ़कर 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। भारतीय निर्यात में इतनी बड़ी वृद्धि महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। डायमंड निर्यात में भारत ने वर्ष 2008 में हीरों के सबसे बड़े निर्यातक देश इजरायल जिसका दुनिया में पॉलिश हीरों का 27.28 प्रतिशत निर्यात हिस्सा था, को भी पीछे छोड़ दिया।

आज भारत में विश्व के 15 में से 14 हीरे प्रोसेस किये जाते हैं। साफ है दूसरों के लिए यहां जगह काफी कम है। ऐसे में भारत डायमंड मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग का विश्व में एक बड़ा हब बन सकता है। इससे भारत का मौजूदा जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट्स जो फिलहाल 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, सरकार द्वारा नीतिगत बदलावों से डबल होकर 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।

जीजेईपीसी के अध्यक्ष कोलिन शाह ने प्रस्तावित सुधारों पर कहा कि हमें रफ हीरे का कोई प्राकृतिक लाभ तो नहीं है, लेकिन भारत रफ हीरे काटने और तराशने में हमेशा अग्रणी और दक्ष रहा है। वर्ष 2019 में भारत ने प्रोसेसिंग के लिए तकरीबन 157 मिलियन कैरेट रफ हीरों का आयात किया। भारत अपने इस पोजिशन को बनाए रखने में सक्षम है। इसके अलावा भारत नई ऊंचाईयों को भी छू सकता है। जीजेईपीसी ने वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि यदि ग्राहक भारत में ही अपने आर्डर्स की पुष्टि करने के लिए चुनते हैं, तो उन्हें एसएनजेड के भीतर ही बिल बनाने की अनुमति दी जाए। माइनर्स 0.16 प्रतिशत तक टर्नओवर टैक्स दे सकते हैं। इस तरह के टैक्स रेट फिलहाल बेल्जियम में प्रचलित है।

जीजेईपीसी के चेयरमैन कॉलिन शाह ने आगे कहा कि इस समय कोविद-19 के कारण सारे ट्रांजैक्शन और डायमंड्स के ट्रेड ई-कॉमर्स पोर्टल्स पर हो रहे हैं। हालाँकि, वर्तमान वित्तीय वर्ष में ई-कॉमर्स कारोबार पर प्रस्तावित 2 प्रतिशत इक्विलाइजेशन लेवी जो कि एक अतिरिक्त कराधान है, कारोबारियों के लिए एक बोझ जैसा है। कोविद-19 के दौरान हमारे सभी कारोबार ई-कॉमर्स से हो रहे हैं। कोविद-19 की चुनौतियों के कारण हमारे इंडस्ट्री को निर्यात में भी भारी नुकसान झेलना पड़ा है। इसके बावजूद सरकार द्वारा अब 2% इक्विलाइजेशन लेवी लगाना इंडस्ट्री के लिए अनुचित है। वित्त मंत्री के साथ हुई हमारी पिछली बैठक में हमने 2% ईएल क्लॉज को हटाने का प्रस्ताव दिया था और हमें पूरी उम्मीद है कि सरकार इसमें जल्द ही सुधार और संशोधन करेगी।

कट और पॉलिश डायमंड्स के ड्यूटी में कटौती

जीजेईपीसी ने पॉलिश हीरे के आयात पर से मौजूदा शुल्क 7.5% से घटाकर 2.5% करने का भी आग्रह किया है, ताकि भारत को एक पॉलिश डायमंड हब के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिल सके। ऐसा करने से सारे डिस्ट्रीब्यूशन भारत से होंगे और वॉल्यूम बढ़ने से ड्यूटी कलेक्शन में वृद्धि होगी।

रफ डायमंड्स की बिक्री

जीजेईपीसी ने भारत के विशेष अधिसूचित क्षेत्रों (एसएनजेड) में माइनर्स (खनिकों) द्वारा रफ हीरे की प्रत्यक्ष बिक्री का भी प्रस्ताव किया है। इस समय माइनर्स भारत के एसएनजेड में रफ हीरे केवल देखने के लिए भेजते हैं। बाद में इन हीरों को एसएनजेड द्वारा दुबई या एंटवर्प में वापस भेज दिया जाता है। भारत में इनकी बिक्री की अनुमति नहीं है और यदि कोई सेल होते हैं तो इसे आईटी अधिनियम के अनुसार स्थायी संस्थाओं के अंतर्गत किया जाता है और तब इसकी बिक्री पर आयकर लगाया जाता है। फिर वही सामान दुबई या एंटवर्प में कार्यालयों के माध्यम से वापस भारत भेज दिया जाता है, इस प्रकार आयातक के लिए लागत बढ़ जाती है। एक अनुमान के अनुसार तकरीबन 60 प्रतिशत रफ डायमंड्स एंटवर्प या दुबई के माध्यम से रूट किये जाते हैं।

इक्विलाइजेशन लेवी (ईएल)

वर्तमान वित्तीय वर्ष से लागू 2 प्रतिशत ईएल अब इंडियन टैक्स रेसिडेंट्स या वे जो भारतीय आईपी पते का उपयोग करके खरीदारी करते हैं, के सभी विदेशी ई-कॉमर्स लेनदेन पर लागू होगा। इसका अर्थ यह हुआ कि ई-नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से वैश्विक खनिकों और व्यापारियों को रफ हीरे की खरीद पर 2 प्रतिशत ईएल देना होगा। चूंकि ईएल विदेशी इकाई पर लेवी के रूप में लागू किया गया है, वैश्विक माइनर्स और कारोबारी ईएल के कारण इसके कारण अपने प्राइसिंग स्ट्रक्चर को संशोधित कर सकते हैं। विश्व के अग्रणी डायमंड माइनर्स ने जीजेईपीसी से डायमंड्स की खरीद पर इस 2 प्रतिशत के अतिरिक्त ईएल के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है। इससे इंडियन जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट्स इंडस्ट्री पर और बोझ बढ़ेगा। भारतीय डायमंड इंडस्ट्री पहले ही कोरोना और अन्य सरकारी कराबोझ से परेशान है। कारोबारी अपने सारे कारोबार ऑनलाइन और ई-कॉमर्स के माध्यम से करने लगे हैं। ऐसे में यदि ईएल को नहीं हटाया गया तो भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी चमक खो देगा।

वर्ल्ड जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट्स में भारत का हिस्सा वर्ष 2001 से 7 प्रतिशत जितना रहा है। इसके स्थिर रहने के कई कारण हैं। इज ऑफ बिजनेस डुइंग इनमें एक है। उपरोक्त सुधार सिफारिशें और बदलाव इंडस्ट्री को मुंबई के एसएनजेड में बिक्री की अनुमति के साथ रफ डायमंड्स की प्रत्यक्ष आपूर्ति को बनाए रखने में मदद करेंगे।