डायमंड कंपनियों ने पॉलिश हीरे की कीमतों को स्टैबलाइज करने के लिए आयात रोका

हीरे में ग्लोबल लीडर होने के नाते भारत पूरे विश्व में 15 डायमंड ज्वैलरी सेट में 15 का उत्पादन करता है और हर साल तकरीबन एक बिलियन स्टोन्स पॉलिश करता है। वित्त वर्ष 2019 के दौरान भारत के कट और पॉलिश किये हीरों का प्रमुख बाजार अमेरिका 6,960.09 मिलियन डॉलर, हांगकांग 6,381.97 मिलियन डॉलर, मध्य पूर्व 2113.63 मिलियन डॉलर और यूरोप 1,534.50 मिलियन डॉलर का था। यद्यपि वर्ष 2020 घोर मंदी का रहा है और यह 2008-09 की मंदी की याद दिला रहा है। इस घोर मंदी को देखते हुए इंडियन डायमंड इंडस्ट्री ने एहतियात के तौर पर कच्चे हीरों के आयात को फिलहाल एक महीने तक रोकने का सामूहिक और स्वैच्छिक फैसला किया है। इस बार कोरोना महामारी को लेकर डायमंड इंडस्ट्री में कारोबार ठप है। देशभर में लॉकडाउन के कारण कारोबारी प्रतीक्षा करों की नीति अपनाए हुए हैं।

इंडस्ट्री की मौजूदा हालात को देखते हुए जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के नेतृत्व में भारत डायमंड बोर्स, सूरत डायमंड बोर्स, सूरत डायमंड एसोसिएशन, और मुंबई डायमंड मर्चेंट्स एसोसिएशन जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं ने आम सहमति और एकजुटता दर्शाते हुए अपने सदस्यों को फिलहाल रफ डायमंड के आयात को स्वैच्छिक रुप से रोकने का अनुरोध किया है।

कोरोना महामारी के इस काल में सभी बाजारों से मांग गायब होने लगी है। मैन्यूफैक्चरर्स को डर लगने लगा है कि डायमंड के उत्पादन में कटौती करने के बावजूद इन्वेंट्री का नुकसान जो फिलहाल तकरीबन 6-7 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है, पर्याप्त नहीं होगा। इसलिए मांग के अनुसार ही हीरे पॉलिश होने चाहिए। वैसे भी इंडियन इंडस्ट्री अपनी मांग और सप्लाई मैकेनिज्म प्रबंधित करने में काफी परिपक्व है। रफ हीरे के आयात को रोकने का असर दो बड़े माइनर्स अलरोसा और डी बीयर्स पर पड़ा है। इन दोनों ने अपने अपने दीर्घकालिक ग्राहकों को फिलहाल खरीद को टालने और अत्यधिक स्टॉकिंग से बचने को कहा है। अलरोसा ने अपने ग्राहकों को भी फिलहाल बोली लगाने से दूर रहने को कहा है ताकि बाजार पर अतिरिक्त दबाव न डाला जा सके।

जीजेईपीसी के अध्यक्ष कॉलिन शाह ने कहा कि आज पूरी दुनिया में तेल सहित कई वस्तुएं गिरी हैं, लेकिन हीरे की कीमतें स्थिर रही हैं। यह भारतीय हीरा कंपनियों द्वारा मोटे आयात में कटौती बाबत लिए गए सचेत निर्णय का नतीजा था, ताकि बिजनेसेस अपने इंवेंट्री को कम कर सकें, ऋण को कम कर सकें और नकदी प्रवाह का प्रबंधन कर सकें।

जीजेईपीसी के डायमंड पैनेल कमेटी के कांवेनर संजय शाह ने कहा कि हम डीबीयर्स और अलरोसा द्वारा ग्राहकों के हित में उठाये गये कदमों का स्वागत करते हैं। इससे भारतीय कंपनियों के इंवेंट्री को हल्का करने का मौका मिलेगा, कैश पोजिशन में सुधार होगा। तथा हीरे की गिरती कीमतों को फ्री फॉल होने से बचाया जा सकेगा।

भारतीय हीरा उद्योग द्वारा किये गये आत्म-अनुशासित अप्रोच के कारण इंडस्ट्री को फायदा होगा। कोरोना काल में जैसे जैसे वैश्विक बाजार धीरे धीरे खुलने लगे हैं, लोगों का दृष्टिकोण सामान्य होने लगा है और कारोबार होने लगे हैं। कट और पॉलिश किए गए भारतीय हीरे के निर्यात में 50% की कमी आई है। इंवेंट्री अभी भी समाप्त नहीं हो रही है। इसलिए कंपनियों को सतर्क रहना चाहिए और इन्वेंट्री को और कम करने के लिए कदम उठाना चाहिए।

वर्ष 2020 में कारोबार में सुधार की संभावना के लिए कई बाहरी कारण उत्तरदायी होंगे। मार्केट की रिकवरी में देरी हो सकती है। वर्ष 2021 में एंड-कंज्यूमर डिमांड के ठीक होने पर बाजार में कुछ सुधार हो सकता है। ऐसे में मिडस्ट्रीम के कारोबारियों को अपने बाजार कंसोलिडेट करने होंगे क्योंकि मौजूदा हालात में अनेक छोटे कारोबारी बाजार से छंटने शुरु हो गये हैं। यद्यपि आगामी सितंबर से जनवरी के दौरान बी2बी सेल्स के पिकअप होने की संभावना जताई जा रही है, इसके बावजूद क्रिसमस होलसेल बिजनेस में 30 से 40 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीद की जा रही है। जीजेईपीसी पूरे माहौल को बारीकी से निगरानी कर रही है और सभी हितधारकों के हित और भावी मांग को देखते हुए अपने लेगी।