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20, 23 और 24 कैरेट के सोने की भी हॉलमार्किंग होगी |
![]() उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, रेलवे और वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री गोयल ने कहा कि सोने के आभूषणों का अनिवार्य हॉलमार्क प्रमाणीकरण ग्राहकों और व्यवसायों दोनों के लिए अच्छा है। इंडस्ट्री के प्रमुख ज्वेलर्स के साथ व्यापक परामर्श के बाद हॉलमार्किंग के बारे में निम्नलिखित निर्णय लिए गएः 1. हॉलमार्किंग शुरू में देश के 256 जिलों से शुरू की जाएगी, जहां-जहां असेसेइंग मार्किंग सेंटर हैं। 2. 40 लाख रुपए सालाना टर्नओवर वाले ज्वैलर्स के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य नहीं होगी। 3. भारत सरकार की व्यापार नीति के अनुसार गहनों का निर्यात और पुन: आयात - अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों के लिए आभूषण तथा सरकार द्वारा अनुमोदित बी2बी घरेलू प्रदर्शनियों के लिए आभूषणों को अनिवार्य हॉलमार्किंग में शामिल नहीं किया गया है। 4. 20, 23 और 24 कैरेट के सोने की भी हॉलमार्किंग की जाएगी। 5. घड़ियाँ, फाउंटेन पेन और विशेष प्रकार के आभूषण जैसे कुंदन, पोल्की और जड़ाऊ को हॉलमार्किंग से छूट दी जाएगी। 6. ज्वैलर्स उपभोक्ता से बिना हॉलमार्क के पुराने सोने के आभूषणों को वापस खरीदना जारी रख सकते हैं। 7. सोने के आभूषणों के निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को 31 अगस्त तक पर्याप्त समय दिया गया है। अगस्त अंत तक कोई जुर्माना नहीं लगेगा। 8. पुराने आभूषणों पर हॉलमार्क किया जा सकता है। ज्वेलर पुरानी ज्वेलरी को लेकर उसे पिघला सकते हैं और नए आभूषण बनाने के बाद हॉलमार्किंग कर सकते हैं। 9. हॉलमार्किंग योजना के क्रियान्वयन के दौरान उठे यदि किसी मुद्दे पर गौर करनी हो तो सभी हितधारकों, राजस्व अधिकारियों और कानूनी विशेषज्ञों के प्रतिनिधियों की एक समिति बनाई जाएगी। इंडस्ट्री के प्रमुखों के साथ हुई हॉलमार्किंग की महत्वपूर्ण बैठक के बाद श्री गोयल ने कहा कि रचनात्मक सुझावों का हमेशा स्वागत है और हॉलमार्किंग का क्रियान्वयन प्रभावी होना चाहिए। गौरतलब है कि गोल्ड ज्वैलरी की हॉलमार्किंग पहले 15 जून 2021 से शुरू होने वाली थी। भारतीय मानक ब्यूरो की हॉलमार्किंग योजना के तहत, ज्वेलर्स हॉलमार्क वाले आभूषण बेचने और परीक्षण और हॉलमार्किंग केंद्रों को मान्यता देने के लिए अपना पंजीकरण करा सकते हैं। बीआईएस (हॉलमार्किंग) विनियम, 14.06.2018 से लागू किए गए थे। हॉलमार्किंग उपभोक्ताओं/आभूषण खरीदारों को सही विकल्प चुनने में सक्षम बनाएगी और उन्हें सोना खरीदते समय किसी भी अनावश्यक भ्रम से बचाने में मदद करेगी। इस समय, भारत में केवल 30 प्रतिशत सोने के आभूषणों के ही हॉलमार्क हैं। उपभोक्ताओं में सोने के आभूषणों के प्रति विश्वसनीयता और ग्राहकों की संतुष्टि को बढ़ाने के लिए आभूषणों की हॉलमार्किंग आज अत्यंत आवश्यक हो गया है। इस कदम से भारत को विश्व में एक प्रमुख स्वर्ण बाजार केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। गौरतलब है कि पिछले पांच वर्षों में एएंडएच केंद्रों की संख्या में 25% की वृद्धि हुई है। ये केंद्र पहले 454 थे, आज बढ़कर 945 हो गये हैं। इस समय पूरे देश में 940 असेसेइंग (परख) एवं हॉलमार्किंग केंद्र संचालित हैं। इसमें से 84 एएचसी सरकार द्वारा विभिन्न जिलों में सब्सिडी योजना स्थापित किए गए हैं। फिलहाल एएंडएच सेंटर एक दिन में 1500 ज्वेलरी पीसेस को हॉलमार्क कर सकते हैं। एएंडएच सेंटर की प्रति वर्ष अनुमानित हॉलमार्किंग क्षमता 14 करोड़ ज्वेलरी पीसेस है जिसमें 500 ज्वेलरी पीसेस प्रति शिफ्ट और 300 कार्य दिवस शामिल हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, भारत में करीब 4 लाख ज्वैलर्स हैं, इनमें से अबतक सिर्फ 35879 ही बीआईएस सर्टिफाइड हैं।
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