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आईजीआई ने किया खुलासा अंतर्राष्ट्रीय ग्रेडिंग ऑथोरिटी ने प्रमाणित नेचरल डायमंड के समान दिखने वाला ६.१८ कैरेट का लैब ग्रोन हीरा पकड़ा |
आईजीआई थाईलैंड और हांगकांग के प्रबंध निदेशक बॉब वैन ईएस ने कहा कि यह एक प्रमुख जेमोलॉजिकल लैब द्वारा प्रमाणित अब तक का सबसे बड़ा लैब में विकसित हीरा है, जिसका एकमात्र उद्देश्य लैब में विकसित हीरे को नेचरल हीरे के रुप में दिखाना था। उन्होंने कहा कि आईजीआई में, हमने हीरे की दोहरे सत्यापन की मांग में भारी वृद्धि देखी है, जिसका अर्थ है कि हीरा खरीदने से पहले उपभोक्ताओं को इस बात की पुष्टि कर लेना चाहिए कि वे जो हीरा खरीद रहे हैं क्या उसके गुण मूल रिपोर्ट से मेल खाते हैं या नहीं। चूंकि लैब में तैयार हीरे के गुण जीआईए रिपोर्ट से मेल खाने के कारण आईजीआई के विशेषज्ञ जेमोलॉजिस्टों ने अपने अत्याधुनिक डिटेक्शन इक्विपमेंट से जल्द पता लगा लिया कि उक्त हीरा लैब में विकसित किया गया था और उसे जीआईए रिपोर्ट के डेटा से मेल खाने के लिए काटा और पॉलिश किया गया था। इसके अलावा, उक्त हीरे पर एक नकली लेजर नंबर अंकित किया गया था ताकि इंडस्ट्री से बाहर के व्यक्तियों को आसानी से गुमराह किया जा सके। आईजीआई के सीईओ रोलैंड लॉरी ने कहा कि हीरे की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए विस्तृत विश्लेषण करना जरुरी है जिससे कि उपभोक्ता गलत तरीके से प्रस्तुत किए गए हीरे खरीदने से बच सकें। उन्होंने कहा कि चूंकि इस तरह की धोखाधड़ी बढ़ने लगी है, इसलिए आईजीआई नए ऐसे कदाचारों को पहचानने और उपभोक्ताओं को अपनी विशेषज्ञता प्रदान करता है ताकि उनमें यह विश्वास हो जाए कि संस्थान-प्रमाणित गहनों सही वर्गीकृत और विश्लेषित किये होते हैं। हीरों के प्रमाणीकरण के बिना उपभोक्ताओं ऐसे जेमस्टोन खरीदने का जोखिम उठाते है जो उनके सामान्य विवरण के अनुरूप नहीं होते हैं। इसलिए आईजीआई को उपभोक्ताओं को पांचवां सी यानी कांफिडेंस (आत्मविश्वास) प्रदान करने पर गर्व है। विश्व स्तरीय सत्यापन और रिपोर्टिंग के लिए संस्थान की लंबे समय से चली आ रही प्रतिष्ठा के कारण बढ़िया गहनों के खरीदारों को गुणवत्ता और मूल्य पर भरोसा होता है।
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