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![]() भारत के रत्न एवं आभूषण उद्योग के भविष्य को नया आयाम देने के लिए जीआईआई सिगमा युनिवर्सिटी, वड़ोदरा के साथ एक एमओयू साईन करेगा, जिसके तहत डायमण्ड्स, जैम एण्ड ज्वैलरी में स्पेशलाइज़्ड डिप्लोमा और डिग्री कोर्सेज़ पेश किए जाएंगे। जीआईआई एक अग्रणी शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र है, जिसकी स्थापना उद्योग जगत के अग्रणी संगठनों जैसे भारत डायमण्ड बोर्स, जैम एण्ड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउन्सिल, जैम एण्ड ज्वैलरी एक्पोर्टर्स एसोसिएशन, मुंबई डायमण्ड मर्चेन्ट्स एसोसिएशन, डायमण्ड एक्पोर्टर्स एसोसिएशन लिमिटेड द्वारा की गई है। यह संस्थान सिगमा युनिवर्सिटी के साथ साझेदारी में जैमोलोजी में प्रोफेशनल उत्कृष्टता को बढ़ावा देगा। साझेदारी पर बात करते हुए श्री मेहुल शाह, चेयरमैन- जीआईआई ने कहा, ‘‘इस साझेदारी का उद्देश्य पेशेवरों की अगली पीढी को पेशेवर प्रशिक्षण देना है। यह साझेदारी खासतौर पर उन कारीगरों के लिए महत्वपूर्ण है जो उद्योग जगत की लाईफलाईन हैं। पेशेवर योग्यता हासिल करने से समाज में उनकी स्थिति बेहतर होगी और उनकी कला को पहचान मिलेगी।’ डॉ हर्ष शाह, प्रेज़ीडेन्ट, सिगमा युनिवर्सिटी ने इस साझेदारी पर बात करते हुए कहा, ‘‘सिगमा युनिवर्सिटी मे ंहम उद्योग जगत को शिक्षा के साथ सशक्त बनाना चाहते हैं। जीआईआई के साथ यह साझेदारी छात्रों को विश्वस्तरीय कौशल प्रदान करने तथा रत्न एवं आभूषणों में भारत की धरोहर को सम्मान देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। भारत रत्न एवं आभूषण कारोबार में मुख्य भूमिका निभाता है, यह उद्योग देश के जीडीपी में 7 फीसदी और मर्चेन्डाइज़ एक्सपोर्ट में 15 फीसदी योगदान देता है। दुनिया के 90 फीसदी हीरे भारत में प्रोसेस किए जाते हैं, और हर 16 में से 15 हीरों की पॉलिशिंग कुशल भारतीय कारीगरों द्वारा की जाती है। ऐसे में यह सेक्टर सटीकता और उत्कृष्टता का पर्याय बन गया है। सिगमा युनिवर्सिटी मे जीआईआई के सहयोग से बैचलर ऑफ डायमण्ड एवं बैचलर ऑफ ज्वैलरी जैसे प्रोग्राम पेश किए जाएंगे। ये प्रोग्राम पारम्परिक कौशल और आधुनिक कारीगरी के संयोजन के साथ युवाओं को कारोबार के हर पहलु में सशक्त बनाएंगे। श्री मेहुल शाह ने सिगमा युनिवर्सिटी के प्रेज़ीडेन्ट डॉ हर्ष शाह के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा ‘‘रत्न एवं आभूषण उद्योग के लिए अधिक मजबूत एवं शिक्षित भविष्य के निर्माण के लिए एक साथ मिलकर काम करते हुए हमें बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है।’ |