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कोरोना महामारी में लॉक डाउन के दौरान डायमंडगुरु के मालिक गौरव सेठी और उनकी पत्नी श्रीमती स्वाति सेठी ने इस बारे में एक गहन सर्वे किया। उन्होंने पाया कि डायमंड इंडस्ट्री की व्यापार प्रथाओं में आज बहुत सारी विसंगतियां हैं जिन्हें समाप्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ट्रीटेड डायमंड्स को नग्न आंखों से देखकर उसके नेचरल या कृत्रिम रूप को पहचाना नहीं जा सकता है। इससे ग्राहक को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है कि उसने जिस ज्वैलरी को खरीदा है, उसमें जड़े डायमंड्स असली हैं या नकली। ग्राहक ठगा हुआ महसूस करता है। इसमें शोरुम को भी दोष नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इन्हें केवल उच्च परिशुद्धता मशीन से ही जांचा जा सकता है। वर्ष १९९० के दशक में, गोल्ड की शुद्धता के बारे में बहुत सारी भ्रम और भ्रांतियां थी जिसके कारण गोल्ड की बिक्री में गिरावट आई थी। ग्राहक ज्वैलर्स पर भरोसा नहीं कर पा रहे थे। इसलिए वर्ष २००० में गोल्ड की शुद्धता के लिए हॉलमार्क पेश किया गया और तब से गोल्ड ज्वेलरी की बिक्री में सतत इजाफा हो रहा है। नैचुरलमार्क के संस्थापक गौरव और श्रीमती स्वाति ने अपने सर्वे में सिफारिश की है कि जिस तरह पूरा देश गोल्ड के लिए हॉलमार्किंग की प्रणाली का अनुसरण करता है, उसी तरह हम डायमंड्स के लिए नैचुरलमार्किंग की प्रणाली रख सकते हैं। नैचुरलमार्क एक स्टैंडर्ड सिस्टम है जो नेचरल डायमंड्स की प्रामाणिकता का प्रतीक है। नेचरल डायमंड्स को इससे विशिष्ट पहचान मिलेगी। इस सिस्टम में डायमंड्स की पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए प्रत्येक लूज डायमंड्स के पैकेट पर नैचुरलमार्क का एक टेम्पर प्रूफ सील होगा और प्रत्येक ज्वैलरी पर उसके प्रोपर परीक्षण और टेस्टिंग के बाद नैचुरलमार्क नॉन टीअरेबल टैग और लेज़र इंस्क्रिप्शन अंकित होगा। इसके लिए थोड़ा अतिरिक्त चार्ज लिया जाएगा। हम ऐसा मानते हैं कि ग्राहक का विश्वास प्रत्येक बिजनेसेस की जिम्मेदारी है और इसका पालन करके बिजनेस की कुप्रथाओं को दूर किया जा सकता है। नैचुरलमार्क बिजनेस की कुप्रथाओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन लगता है कि यह काम केवल अकेले का नहीं है। इसमें संपूर्ण डायमंड ज्वैलरी इंडस्ट्री को शामिल करना होगा, तभी हम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। डायमंड इंडस्ट्री के प्रत्येक बिजनेस को इसमें साथ देना होगा। एक सिस्टम को अपनाना होगा जिससे कि नेचरल डायमंड के बिजनेस में चल रहे मालप्रैक्टिसेस (कदाचार) को जड़ से हटाया जा सके या उसे कम किया जा जा सके। इससे वैश्विक स्तर पर डायमंड्स के ग्राहकों के विश्वास को और बल मिलेगा। हमारे सहयोगी आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक रेस्पांसिबल और सस्टेनेबल बनाने में मदद कर रहे हैं। इसमें बिजनेसेस को शामिल कर रहे हैं ताकि फ्यूचर को नई पीढ़ी के लिए सुरक्षित कर सकें। एक ज्वैलर या कस्टमर अपने डायमंड स्टडेड ज्वैलरी को केवल यह जांचने के लिए नहीं दे सकते कि क्या वे असली है नकली, क्योंकि लैब्स में हीरे जड़ित इन आभूषणों की स्क्रीनिंग की सुविधा केवल तभी मिलती है जब वे ग्रेडिंग के साथ संयुक्त हों। इसके कारण ज्वैलर्स को टेस्टिंग भारी और महंगा पड़ता है। वे अपने सारे स्टॉक्स की जांच नहीं करवा सकते क्योंकि इसमें ग्रेडिंग का खर्च लगभग हजार रुपए से शुरू होती है। इसके चार्जेस अधिक होने से ज्यादातर ज्वैलर्स सर्टिफिकेशन नहीं करवाते जबतक कि कोई ग्राहक इसके लिए विशेष तौर पर नहीं पूछता। जाहिर है ऐसे मामलों में जहां ज्वैलरी का परीक्षण नहीं किया जाता है, कस्टमर के विश्वास को धक्का लगने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे नेचरल डायमंड के कारोबार करने वाले ज्वैलर्स जो अपने स्टोर को १००% नेचुरलमार्क प्रमाणित स्टोर बनाना चाहते हैं, वे नैचुरलमार्क से संपर्क साध सकते हैं। नैचुरलमार्क स्टोर के प्रत्येक हीरे के आभूषण का परीक्षण और सत्यापन सुनिश्चित करेगा और यह भी बतायेगा कि वे प्राकृतिक मानकों के अनुसार है या नहीं। इससे ग्राहकों में विश्वास और भरोसा बढेगा। नैचुरलमार्क वाले ज्वैलरी की बिक्री तेज होती है क्योंकि इसमें ग्राहकों का विश्वास होता है। नैचुरलमार्क का टेस्टिंग सेंटर सूरत के माहिधरपुरा में है। यहां लूज डायमंड्स और ज्वैलरी की टेस्टिंग अत्यंत किफायती दामों पर की जाती है ताकि हर ज्वैलर्स अपनी ज्वैलरी का आसानी से परीक्षण कर सके और कुप्रथाओं से बच सके। नैचुरलमार्क पूरे देश में अपने विस्तार के लिए फ्रेंचाइजी की नियुक्ति कर रहा है।
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